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"चिरैया" जो मर कर भी उड़ती रही

4.6
17017

प्रेम, समाज, बंधन और एक अलग सी प्रेम कहानी

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लेखक के बारे में
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धीरज झा

नाम धीरज झा, काम - स्वछंद लेखन (खास कर कहानियां लिखना), खुद की वो बुरी आदत जो सबसे अच्छी लगती है मुझे वो है चोरी करना, लोगों के अहसास को चुरा कर कहानी का रूप दे देना अच्छा लगता है मुझे....किसी का दुःख, किसी की ख़ुशी, अगर मेरी वजह से लोगों तक पहुँच जाये तो बुरा ही क्या है इसमें :) .....इसी आदत ने मुझसे एक कहानी संग्रह लिखवा दिया जिसका नाम है सीट नं 48.... जी ये वही सीट नं 48 कहानी है जिसने मुझे प्रतिलिपि पर पहचान दी... इसके तीन भाग प्रतिलिपि पर हैं और चौथा और अंतिम भाग मेरे द्वारा इसी शीर्षक के साथ लिखी गयी किताब में....आप सब की वजह से हूँ इसीलिए कोशिश करूँगा कि आप सबका साथ हमेशा बना रहे... फेसबुक पर जुड़ें :- https://www.facebook.com/profile.php?id=100030711603945

समीक्षा
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  • author
    08 डिसेंबर 2018
    वाह जी वाह इससे बेहतरीन कहानी नहीं हो सकती जी कहानी क्या है सच्चाई है आपने मेरे मन को झकझोर कर रख दिया यह कहानी नहीं मेरे को तो हकीकत और लग रही है और यह अक्सर समाज में होता भी है आपका बहुत बहुत धन्यवाद
  • author
    Saroj Mangal
    02 डिसेंबर 2018
    bahut he sunder kahani hai thanks
  • author
    प्रीत
    08 डिसेंबर 2018
    बहुत ही भावपूर्ण प्रेम कथा है । आपका लेखन सराहनीय है।
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    08 डिसेंबर 2018
    वाह जी वाह इससे बेहतरीन कहानी नहीं हो सकती जी कहानी क्या है सच्चाई है आपने मेरे मन को झकझोर कर रख दिया यह कहानी नहीं मेरे को तो हकीकत और लग रही है और यह अक्सर समाज में होता भी है आपका बहुत बहुत धन्यवाद
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    Saroj Mangal
    02 डिसेंबर 2018
    bahut he sunder kahani hai thanks
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    प्रीत
    08 डिसेंबर 2018
    बहुत ही भावपूर्ण प्रेम कथा है । आपका लेखन सराहनीय है।